1
लोग लाचार हैं क्यूं ,जिंदगी बाजार हैं क्यूं
हर काई खुद ही यहां बिकने कों तैयार हैं क्यूं
बिखड़े-बिखड़े से हैं लोग, टुटा हर ईक रिश्ता
बस दिखाने के लिए, इतना प्यार हैं क्यूं
देगें मुझकों धोखा ,ये यकीं हैं मुझको
जाने फिर भी उनपे इतना एतबार हैं क्यूं
ख्वाब टुटेगें सभी से जानता हूं मैं
न जाने देखने कों आंखें बेकरार हैं क्यूं
दर्द चीखें जो, भुख जो मुहं खोलें
इंकलाब वालें तो वो गुनहगार हैं क्यूं
लोग लाचार हैं क्यूं, जिंदगी बाजार हैं क्यूं
2
इस अजनबी शहर में बेगाने लगें हैं लोग
अब नाम पता पुछकर भगाने लगें हैं लोग
दर्द सहकर भी वो मुस्कुराते हैं
इस कदर यहां के दीवाने लगें हैं लोग
कौन जाने जमीर की अहमियत जिस्मों की बाजार में
सब के सब झूठ दिखाने लगें हैं लोग
ये क्या हमें जख्म मिला और तड़प उठें
चोट खाये नहीं कि सहलाने लगें हैं लोग
जबसे चली है इस शहर में इश्क की हवा
बेवजह अब सभी मुस्कुराने लगें हैं लोग।
सरोज
हर काई खुद ही यहां बिकने कों तैयार हैं क्यूं
बिखड़े-बिखड़े से हैं लोग, टुटा हर ईक रिश्ता
बस दिखाने के लिए, इतना प्यार हैं क्यूं
देगें मुझकों धोखा ,ये यकीं हैं मुझको
जाने फिर भी उनपे इतना एतबार हैं क्यूं
ख्वाब टुटेगें सभी से जानता हूं मैं
न जाने देखने कों आंखें बेकरार हैं क्यूं
दर्द चीखें जो, भुख जो मुहं खोलें
इंकलाब वालें तो वो गुनहगार हैं क्यूं
लोग लाचार हैं क्यूं, जिंदगी बाजार हैं क्यूं
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इस अजनबी शहर में बेगाने लगें हैं लोग
अब नाम पता पुछकर भगाने लगें हैं लोग
दर्द सहकर भी वो मुस्कुराते हैं
इस कदर यहां के दीवाने लगें हैं लोग
कौन जाने जमीर की अहमियत जिस्मों की बाजार में
सब के सब झूठ दिखाने लगें हैं लोग
ये क्या हमें जख्म मिला और तड़प उठें
चोट खाये नहीं कि सहलाने लगें हैं लोग
जबसे चली है इस शहर में इश्क की हवा
बेवजह अब सभी मुस्कुराने लगें हैं लोग।
सरोज
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