रिटेल व्यापार में प्रत्यक्ष विदेषी निवेश के खिलाफ आज देशभर में 5 करोड से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठान कन्फैडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स के आव्हान पर भारत व्यापार बंद में शामिल होते हुए व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रखे। दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उतरप्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तामिलनाडू, कर्नाटक, छतीसगढ, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, प्रदेश, उत्राखण्ड, बिहार सहित अन्य राज्यों में भारत व्यापार बंद पूरे तौर पर सफल रहा और व्यापारिक बाजारों में पूरी तरह विरानी छायी रही तथा किसी प्रकार की कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं हुई। भारत व्यापार बंद का समर्थन भा.ज.पा, सी.पी.एम, सी.पी.आई, जे.डी.यू, बी.एस.पी, एंव एस.पी. सहित विभिन्न राजनैतिक दलों ने किया है।
देशभर के लगभग 25000 से अधिक व्यापारिक संगठनो ने भारत व्यापार बंद में आज भाग लिया।
कन्फैडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भर्तिया एंव राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने भारत व्यापार बंद को पूर्ण रूप से सफल बताते हुए कहा कि रिटेल व्यापार में एफ.डी.आई. जेसे संवेदनशील मुद्दे पर देशभर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रख कर सरकार को अपने रोश एंव आक्रोश से अवगत करा दिया है। उन्होनें कहा कि रिटेल व्यापार में एफ.डी.आई. ना केवल व्यापारियों बल्कि ट्रांसपोर्टर, हार्कस तथा रोज मजदूरी अर्जित करने वाले लगभग 22 करोड़ लोग जो अपनी रोजी-रोटी के लिए रिटेल व्यापार पर निर्भर है को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा वहीं दूसरी ओर किसानों के हित भी बुरी तरह प्रभावित होगें।
श्री भर्तिया एंव श्री खण्डेलवाल ने सरकार के उस वक्तव्य की कड़ी आलोचना की है जिसमें व्यापारियों को बिचैलिया कहा गया है और जो सप्लाई चेन में कथित भारी मुनाफा कमाते है । पिछले कुद दिनों से मीडिया में भी सरकार के पैरोकार व्यापारियों के विशयों में अर्नगन टिप्पणिया करते हुए एक सोची समझी गयी रणनीति के तहत सरकार की विफलताआंे को व्यापारियों के सिर मढने की कोषिष कर रहे हैं । जबकि हकीकत यह है कि सरकार ने आज तक रिटेल सैक्टर को कतई भी अपनी प्राथमिकता में रखा ही नहीं है और रिटेल में ढाचागंत सुविधाए उपलब्ध करवाने में सरकार पुरी तरह नाकाम रही है । वहीं दूसरी ओर बडे कारपोरेट घरानो द्वारा की जा रही जमाखोरी पर भी सरकार कोई नियंत्रण नहीं लगा पायी है। अपनी विफलताओं के लिए व्यापारियों को दोशी ठहराना कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता।
व्यापारी नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा अपने निर्णय के पक्ष में जो तर्क दिए जा रहे है वो बेहद खोखले है और उनको लेकर सरकार कोई तथ्यात्मक आकडे़ आज तक पेश नहीं कर पायी है। कन्फैडरेशन ने मांग की है कि इस मुद्दे पर ससंदीय स्थायी समिति द्वारा 8 जून 2009 को संसद में सौंपी गयी सर्वसम्मत सिफारिशों पर सरकार अविलम्ब ध्यान दें वही दूसरी ओर सरकार अपना निर्णय वापिस लेते हुए शीर्श अधिकारियों एंव व्यापारियों की एक संयुक्त समिति गठित करें जो भारतीय रिटेल व्यापार की जमीनी हकीकत पर नजर डालते हुए रिटेल व्यापार को और अधिक चुस्त दुरूस्त बनाने के लिए सरकार को अपनी सिफारिशें दें।
भारत व्यापार बंद के सिलसिलें में आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर व्यापारियों ने एक विरोध धरना दिया जिसमें व्यापारी एफडी. आई. के खिलाफ नारे लगा रहे थे और ”खुदरा बाजार में विदेशी निवेश - गुलाम बनेगा अपना देश“, ”विदेशी कम्पनिया आएगी-मंहगाई दहेज में लाएगी“, ”हम सामान बेचते है-सम्मान नहीं“, ”रिटेल व्यापार में एफडीआई- वापिस लो, वापिस लो“ जैसे नारों की तख्तिया व्यापारियों ने अपने हाथो में पकड़ी हुई थी। धरने में एन.डी.ए. के संयोजक श्री शरद यादव, भा.ज.पानेता मुरली मनोहर जोशी, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव श्री प्रकाश कारत, तथा कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया के महासचिव ए.बी.बर्धन भी शामिल हुए।
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