Sunday, 4 March 2012

होली गीत

घर आये परदेशी बालम
देखी खाली खोली
आस-पडोस में हाक लगायें
कहां गई मोरी भोली
एक रंगीला हंसकर बोला मौसम रंग-रंगोली
मुंह में डाल अंगूठा चूसो
भोली यार की हो ली!
एक बरस तक सुघ ना लीन्हों
ना भेजे लहंगा-चोली
गोरिया की मदमस्त जवानी
दे गई तुमको गोली!
गद्य-पद्य रंग कर्म समेटे
है बसंत की झोली
बुद्धिहीन हुडदंग मचाने
ले निकले गदहों की टोली!!
 विजय बुद्धिहीन

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